प्रबोधन का आरंभ ब्रिटेन से माना जाता है ।
प्रबोधन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश ब्रिटेन और फ्रांस थे ।
वाल्तेयर ने व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए राजतंत्र की शक्ति और चर्च के नियंत्रण पर अंकुश लगाने का प्रयत्न किया ।
मोंतेस्क्यु ने भौगोलिक कारकों के आधार पर सरकार के स्वरुप का अध्ययन किया ।
उसने शक्ति के पृथक्करण पर बल दिया । अपनी किताब दी स्पिरिट ऑफ़ लाज में इस सिद्धांत के सम्बन्ध में चर्चा किया है ।
दीदरो ने विश्वकोष की रचना की ।
जान लॉक ने सिमित राजतंत्र की अवधारणा पर बल दिया ।
प्रबोधन काल के आर्थिक चिंतकों में क्वेसने और एडम स्मिथ महत्वपूर्ण है ।
स्मिथ का कहना था की बाजार का अपना अनुशासन होता है । यह मांग व पूर्ति के नियमों से संचालित होता है ।
स्मिथ ने वानिज्यवादी निति की कड़ी आलोचना की तथा मुक्त व्यापार की निति को प्रोत्साहित किया ।
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