Thursday, April 16, 2009

संगम समाज ....

संगम साहित्य से पता चलता है की सुदूर दक्षिण के राज्यों में वैदिक यज्ञ का प्रचलन हो चुका था ।
अनेक ब्राह्मण मांस खाते थे और ताडी पीते थे । इससे सामाजिक अप्शय नही होता था ।
वेलालर संपन्न कृषक होते थे । सैनिक के रूप में इनका काफी महत्व था ।
सेना के नायकों को एनाडी की उपाधि दी जाती थी ।
वेलालर वर्ग के लोग सरकारी पदों पर नियुक्त किए जाते थे । चोल राज्य में इनकी उपाधि'' वेल ''और'' अर्शु ''थी ।
पांड्य राज्य में इनकी उपाधि कविदी थी ।
वेलालर के प्रमुखों को वेलिर कहा जाता था ।
संगम काल में लाल मिटटी के बर्तनों और लोहे के आविर्भाव का श्रेय वेलिर लोगो को दिया जाता है ।
पुलियन नामक जाति रस्सी की चारपाई बनाती थी ।

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