Wednesday, November 11, 2009

संगम काल में ब्राम्हण मांस व मदिरा का भक्षण करते थे ....

दक्षिण भारत का इतिहास थोडा उलझा हुआ है लेकिन बहुत मजेदार भी है । कहा जाता है की अगस्त्य ऋषि ने विन्ध्य पर्वत के घमंड को चूर चूर कर वैदिक धर्म को दक्षिण भारत में पहुंचाया । उन्होंने वातापी नामक राक्षश को मारकर मानव जीवन पर बहुत बड़ा उपकार किया ।
दक्षिण में भी वैदिक संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार हुआ । वहां के ब्राम्हण भी समाज में श्रेष्ठ स्थान रखते थे पर वे मांस व मदिरा का भक्षण करते थे और उन्हें कोई सामाजिक अपयश भी नहीं होता था जबकि उतर भारत में ऐसी बात नहीं थी ।
चेर राज्य में पत्नी पूजा का उल्लेख मिलता है इससे नारी के महत्व का पता चलता है । महिलायें राजा की अंगरक्षक भी होती थी । मुरुगन नामक देवता की पूजा की जाती थी जिनका एक नाम सुब्रमन्यम भी मिलता है । इनकी पत्नी का नाम कूरुवास मिलता है । पुहार यानी कावेरिपतानाम में इन्द्र की पूजा का भी उल्लेख मिलता है । वेल्नादल एक नृत्य होता था जिसमे पुजारी शिव की पूजा करते हुए और नाचते हुए अपने आप में खो जाता था ।

5 comments:

sagardineshbarve said...

abe ghante.. tuze sale konsa aisa reference hai.. jisme mila ki brmhan madira aur maans grahan karte the.. saaallaa... bakwass. tuzpe case hi dalta hoon. rukh..samaj me ashanti felata hai. kya?tera khandan tabah hoga..shaap hai mera..badnami hogi..thik isi tarah se!

संदीप said...
This comment has been removed by the author.
संदीप said...

लीजिए, हमसे पहले एक संस्‍कृति के तथाकथित रक्षक पहुंच गये यहां, इनका यही तरीका है तर्क की जगह गाली-गलौज शुरू कर दो तो सामने वाला अपनी शालीनता का बगल में दबाए हट जाएगा। आप लिखना जारी रखिए, और कमेंट मॉडरेट कर दीजिए, आलतू-फालतू कमेंट पब्लिश मत किया कीजिए, वरना ये फासिस्‍ट यहां ऐसे ही गंदगी करते रहेंगे...

प्रणाम पर्यटन said...

achchi jankari ke liye dhanyvad

VIJAY MAHAWAR said...

Rama.
rama