समाज में स्त्रियों की दशा ठीक थी ।
बाल विवाह नही होते थे ।
बहुविवाह और विधवा विवाह प्रचलित थे ।
मैत्रायणी संहिता में मनु की १० पत्नियों का उल्लेख हुआ है ।
महिलाएं उत्सवों और धार्मिक समारोहों में भाग ले सकती थी ।
उन्हें राजनितिक व धन सम्बन्धी अधिकार प्राप्त नही थे ।
उनकी सामाजिक व धार्मिक प्रतिष्ठा ऋग्वैदिक काल की अपेक्षा कम हो गई थी ।
अथर्ववेद कन्या के जन्म की निंदा करता है ।
मैत्रायणी संहिता में तो स्त्री को सुरा और द्युत की श्रेणी में रखा गया है ।
4 comments:
bahut hi achhi jankari...dhanyavaad!!!!
बिल्कुल सच कहा आपने। महिलाओं की िस्थति अत्यंत शोचनीय थी और है।
Bas Hum apne ghar ko sambbhaal le to bhi bahut kuchh badal jayega... sab mil k koshish karte hain... :))
इसलिए कहा जाता है , की आर्य सभ्यता केलोग कुलीन व श्रेष्ठ थे !
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