Tuesday, June 30, 2009

जैन धर्म के सिद्धांत

जैन धर्म में संसार को दुःख मूलक मन गया है । मनुष्य ज़रा तथा मृत्यु से ग्रस्त है ।
संसार त्याग तथा संन्यास ही मनुष्य को सच्चे सुख की ओर ले जा सकता है ।
जैन धर्म के अनुसार सृष्टिकर्ता इश्वर नही है ।
संसार को वास्तविक माना गया है जो अनादि काल से विद्यमान है ।
कर्म फल ही जन्म और मृत्यु का कारण है ।
जैन धर्म में भी सांसारिक तृष्णा बंधन से मुक्ति को निर्वाण कहा गया है।
।कर्म फल से छुटकारा पाकर ही आदमी निर्वाण की ओर अग्रसर हो सकता है ।
कर्म फल से छुटकारा पाने के लिए त्रिरत्न का अनुशीलन आवश्यक है ।
जैन धर्म के त्रिरत्न है ...सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण ।

No comments: