Wednesday, April 15, 2009

चाणक्य ....

कौटिल्य (चाणक्य ) ने वर्णाश्रम व्यवस्था को सामाजिक संगठन का आधार माना है ।
कौटिल्य के अनुसार वर्णाश्रम व्यवस्था की रक्षा करना राजा का कर्तव्य है ।
उन्होंने शूद्रों को शिल्पकला और सेवावृति के अलावा कृषि , पशुपालन और वाणिज्य से जीविका चलाने की अनुमति दी है ।
अर्थशास्त्र में शूद्रों को आर्य कहा गया है ।
अर्थशास्त्र के अनुसार आर्य्शुद्रों को दास नही बनाया जा सकता है ।
कौटिल्य ने ऐसी स्त्रियों को अनिष्कासिनी कहा है जो घर के अन्दर ही रहती थी ।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में सती प्रथा का कोई उल्लेख नही मिलता ।
अर्थशास्त्र में लिखा है की अकाल के समय राजा जनता की भलाई के लिए कदम उठाता था ।

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