Wednesday, April 15, 2009

मौर्यकालीन समाज ....

मौर्य समाज में चार वर्णों के अतिरिक्त अनेक वर्णशंकर जातियाँ थी । जैसे अम्बष्ठ , निषाद , पार्शव , रथकार , छता, वेदेहक , मागध , सूत , वेण, चांडाल श्वपाक आदि ।
राजा के शिक्षकों , यज्ञ कराने वाले पुरोहित , और वेदपाठी ब्राह्मणों को दान में दी जाने वाली भूमि ब्रह्म्देय कहलाती थी ।
कौटिल्य के अनुसार चांडालों के अलावा सभी वर्णशंकर जातियाँ शुद्र है ।
''तंतुवाय'' जुलाहे को तथा'' रजक ''धोबी को कहा जाता था ।
वर्णशंकर जातियों की उत्पति विभिन्न वर्णों के अनुलोम और प्रतिलोम विवाह से मानी जाती है ।
मेगास्थनीज ने भारतीय समाज को सात जातियों में विभक्त किया है ।
ये सात जातियाँ है ...दार्शनिक , किसान , अहीर , कारीगर , सैनिक , निरीक्षक , सभाषद ।
यह वर्णन भारतीय समाज से मेल नही खाता है ।

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