Sunday, March 15, 2009

राबिनहुड


राबिनहुड' का नाम किसी से अनजान नही है । अमीरों को लूट कर गरीबों को बांटने वाला मध्ययुगीन इंग्लैंड के इस 'नायक' की मिसाल आज भी दी जाती है। अभी मिली कुछ पुरातन पांडुलिपियों पर यकीन किया जाए तो राबिनहुड और 'मेरी मेन' कहलाने वाले उसके साथी जनता में उतने लोकप्रिय नहीं थे, जितने कि लोककथाओं में बताए जाते हैं।

कहानियों, नाटकों और जाने कितनी हालीवुड फिल्मों का विषय बन चुके राबिनहुड के विषय में इस 550 साल पुरानी पांडुलिपी में काफी नकारात्मक टिप्पणी की गई है। इटन कालेज के पुस्तकालय में मिली लैटिन में लिखी 23 शब्दों की इस पांडुलिपि में कहा गया है कि 'लोगों के मुताबिक इस समय राबिनहुड और उसके साथियों ने इंग्लैंड के शेरवुड और उसके आस-पास के इलाकों में आतंक फैलाया हुआ है।'

यह पांडुलिपि मध्ययुगीन इतिहास की एक किताब 'पोलीक्रानिकान' का हिस्सा है। किसी अज्ञात भिक्षु द्वारा लिखी ये किताब स्काटलैंड की सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी में कला का इतिहास पढ़ाने वाले डा. जूलियन लक्सफोर्ड को मिली। दरअसल डा. लक्सफोर्ड 15वीं शताब्दी के रेखाचित्रों पर शोध के सिलसिले में इटन कालेज आए हुए थे। जहां पुस्तकालय में उन्हें ये किताब और उसमें राबिनहुड के बारे में ये टिप्पणी मिली।

'पोलीक्रानिकान' किताब 1340 ई. में लिखी गई थी। इटन कालेज में मौजूद प्रति 1420 ई. की है और डा. लक्सफोर्ड के मुताबिक उसमें राबिनहुड के विषय में की गई टिप्पणी 1460 ई. में जुड़ी।

वैसे राबिनहुड के विषय में पहले भी नकारात्मक टिप्पणियां मिलती रही हैं। मगर अब तक इस मध्ययुगीन 'नायक' का उल्लेख या तो गरीबों के मसीहा के रूप में होता था या फिर एक ऐसे लुटेरे के रूप में जिसमें कुछ अच्छे गुण भी थे। मगर ये पहली बार है जब राबिनहुड के बारे में एक पूर्णतया नकारात्मक टिप्पणी सामने आई है। डा. लक्सफोर्ड बताते हैं ये पांडुलिपी बताती है कि उस समय आम जनता और चर्च में राबिनहुड के प्रति रोष था।

राबिनहुड के विषय में ये दुर्लभ टिप्पणी सोमरसेट के विथम मठ में की गई थी। ये पांडुलिपि 1913 से इटन कालेज में मौजूद है लेकिन अभी तक इसके राबिनहुड से संपर्क पर किसी की नजर नहीं पड़ी।

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