कल्पसूत्र के अलावा अचारान्ग्सुत्र में भी भगवान् महावीर के कठिन तप का वर्णन मिलता है ।
बारह वर्ष की घोर तपस्या के बाद महावीर को कैवल्य (सर्वोच्च ज्ञान )प्राप्त हुआ ।
उन्हें कैवल्य जाम्भिय्ग्राम के समीप रिजुपालिका नामक नदी के तट पर प्राप्त हुआ ।
कैवल्य प्राप्त होने के कारण ही उन्हें केव्लिन की उपाधि मिली ।
अपनी समस्त इन्द्रियों को जितने के कारण वह जिन कहलाये ।
अपरिमित पराक्रम दिखाने के कारण उनका नाम महावीर पड़ा ।
ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने आजीवन धर्म प्रचार किया ।
उनकी मृत्यु पावा में ४६८ इ पु में हुई ।
3 comments:
भगवान.. महावीर के बारे में ज्यादा कुछ साहित्य पढने को नहीं मिलता..लेकिन उनकी बताई शिक्षाओं से शायद सभी अवगत है....!आज भी हमे उनकी बताई बातों पर चलने की जरुरत है...
Its very unfortunate that, there is not that much information about MAhaveera and Jainism today, but Jain religion is most suitable religion in modern days
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