मुझे ऐसे लोगो से बातचीत कर काफी अच्छा लगता है जो अपने आस पास की जानकारी रखते है । खोजी प्रवृति के होते है । साधारण और सामान्य जीवन जीते है । कहने का अर्थ यह है की दिखावे में यकीं नही करते है । मै एक एन जी ओ से भी जुडा हुआ हूँ और उसके माध्यम से ऐसे बच्चों की मदद करता हूँ जो किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते है । विशेष रूप से सिविल सेवा की तैयारी करने वाले प्रतियोगिओं को अच्छे तरीके से गाइड करता हूँ क्योंकि मै भी इसी फिल्ड से जुडा हुआ हूँ ।
कई बच्चे काफी जागरूक किस्म के होते है । देश दुनिया के बारे में जानने की तीब्र इच्छा रखते है । मुझे ऐसे बच्चों से बात करने में काफी मजा आता है जो निचले तबके से या ग्रामीण क्षेत्रों से आते है । ऐसे बच्चों में सिखने की लालषा काफी होती है । इसका एक कारण यह भी है की वे ज्यादा कुछ नही जानते है ,सो उनके अन्दर जिज्ञासा कूट कूट कर भरी रहती है । बहुत कुछ जान लेना चाहते है । अगर उनको सही दिशा मिल जाए तो वे कुछ भी कर सकते है । अफ्शोश अधिकंशों को सही दिशा नही मिल पाता और जबतक समझते है तबतक काफी देर हो जाती है ।
मै अपने उन मित्रों को भी पसंद करता हूँ जो जिज्ञासु प्रवृति के होते है तथा आस पास की जानकारी रखते है । सोचता हूँ , अगर हम पढ़े लिखे लोग इन सभी चीजों पर ध्यान नही रखेगे तो कौन रखेगा ? जागरूक होने एक बड़ी निशानी तो यही है की हम जाने .....अपने अलावा आस पास की चीजों के बारे में भी ....
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